Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (18)

जैसे ही रोहित वहाँ से गया, रश्मि ने दरवाजा खोला ओर इधर उधर देखने लगी, जब आस पास कोई नहीं दिखा तो वो भाग कर अपनी मम्मी के कमरे में गई।

 पर वहाँ कोई नहीं था, रश्मि घबरा गई...। तभी रिषभ ने पीछे से आकर उसका मुंह बंद कर दिया ओर उसके नजदीक आकर उसके कानों में कहा :- अभी तक तो बिलकुल सही सलामत हैं आंटी जी, पर अगर तुने रोहित को अब कुछ भी बताया तो..... समझी...। 
मैं कुछ भी कर सकता हूं....। 

रिषभ ने उसे बैड पर धक्का देते हुए कहा :- प्यार से मान जाती तो आज ये सब नहीं होता...। अब तो तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता, तुने मुझे जो थप्पड़ मारा हैं....वो तुझे बहुत भारी पड़ेगा। 
जस्ट वेट एंड वाच...। ऐसा कहकर रिषभ वहाँ से चला गया। 


उसके जाते ही रश्मि की मां भीतर आई....। रश्मि को देखते ही बोलीं :- तु यहाँ, क्या चाहिए। यहाँ क्यों आई हैं...। 

रश्मि घबराते हुए:- कुछ नहीं मम्मी मैं बस वो ये कहने आई थी अब हमें अपने घर वापस चलना चाहिए....। डाक्टर से तो मिल ही लिए हम....। बाकी इलाज.... 

पगला गई है क्या...। अभी तो तू बोली कि कल हास्पिटल जाना हैं....अभी ये क्या बोल रही हैं.....। 


कुछ नहीं मम्मी....। 
ऐसा कहकर वहाँ से चली गई....। 
वो वापस अपने कमरे में आई ओर उसने अलका को फोन लगाया.....। 


हैलोअलका.....! 

हां रश्मि...। 

कैसी हैं तु....। 


क्युं ऐसा पुछ रही है रोहित सर ने नहीं बताया क्या तुझे....। वो आया तो था यहाँ.....। 


रश्मि कुछ देर सोच कर:- हां बताया पर तेरे मुंह से सुन लुंगी तो.....। 

अलका-मैं ठीक हूँ....। तु ये बता आंटी कैसी हैं......ओर डाक्टर ने क्या कहा.....। 


मम्मी को पहला स्टेज ही है, दवाईयों से ठीक हो जाएंगी। बस एक दो दिन जाना हैं.....कुछ रिपोर्टस करवाने के लिए ताकि कन्फर्म हो जाए....। 


ये तो बड़ी अच्छी खबर हैं......रश्मि। 

अलका मुझे तुझसे कुछ ओर बात भी करनी है, मैं तेरे पास बात करने के लिए ही आई थी......पर उस वक़्त तेरी तबीयत देख कर मैं डर गई थी। 


बात तो मुझे भी तुझसे करनी है रश्मि। 
एक काम कर कल तु हास्पिटल से होकर आए फिर मुझे मिल....। 


तुझे क्या बात करनी हैं...? 


 टेंशन मत ले। कल मिलकर बात करते हैं फोन पर सही नहीं रहेगा। अच्छा ये बता कुछ खाया तुने.....। 
 
अलका तु भी ना.....। 


अलका मुस्कुराते हुए :- इतना ख्याल तो ....तेरा पति भी नहीं रखेगा मेरी जान.....। 

रश्मि भी हल्के से मुस्कुरा कर बोली :- जानती हूँ....। 


शुक्र हैं.....तेरे चेहरे पर मुस्कुराहट तो आई। 


अपना ध्यान रखना। कल मिलतें हैं....। 
ऐसा कहकर रश्मि ने फोन रख दिया ओर सोचने लगी अलका को मुझसे क्या बात करनी होगी। 


रश्मि अपने बैड पर बैठी सोच ही रही थी कि तभी रोहित ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। 
रश्मि ने दरवाजा खोला तो  रोहित सामने खड़ा था। 

दरवाजा खुलते ही रोहित बोला..:- तुम तो बड़ी मतलबी निकली.....। मैं कब का तुम्हें बोलकर गया था कि मैं वेट कर रहा हूँ। पर तुम आना तो दूर यहाँ अपने ही ख्यालों में घुम हो। तुम्हें तो मेरी याद भी नहीं। 


ऐसी बात नहीं हैं.......वो मैं अलका से बात कर रही थी बस। 

मैं होकर आया हूँ। वो बिल्कुल ठीक है। 
तुम टेंशन मत करो ओर अभी मेरे साथ चलो खाने का वक्त हो गया है ,तुम खुद तो भुखी रहती हो मुझे भी भुखा रख रही हो....। आओ चलो अभी....। 

ऐसा कहकर रोहित ने उसकी कलाई पकड़ ली। ओर उसे लेकर नीचे चल दिया। 

नीचे रिषभ पहले से ही बैठा था। रश्मि उसे देख कर फिर से डर गई ओर रोहित से अपना हाथ छुड़ा कर बोली:- मैं खुद चल रही हूँ.....रोहित......मेरा हाथ छोड़ो....। 


रोहित को बहुत अजीब लगा रश्मि का अचानक ऐसा कहना पर वो कुछ बोला नहीं ओर उसने रश्मि का हाथ छोड़ दिया। 

तभी वहाँ खाना खाने के लिए मोहन ओर रश्मि की माँ भी आए। 
रश्मि मोहन को देख कर कांप गई पर वो  किसी को कुछ बोल नही पाई। ओर खाने के लिए बैठ गई। 
रिषभ ने रश्मि के पास बैठते हुए कहा :- क्या हुआ रश्मि तुम ठीक तो हो ना...? 
लाओ मैं तुम्हें खाना सर्व करके देता हूँ....। मुझे लगता हैं.....तुमने सुबह से कुछ खाया ही नहीं हैं...। 
रश्मि कुछ बोलती इससे पहले रिषभ उसकी प्लेट में खाना सर्व करने लगा। खाना सर्व करते हुए उसने सबसे नजरें छुपाते हुए मोहन की तरफ कुछ इशारा किया...। 

मोहन के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। 
सभी लोग खाना खाने लगे....। 

खाना खा कर रश्मि अपनी मम्मी को उनके कमरे में ले गई ओर उनको दवाईयां देते हुए बोली :- मम्मी मैं आज रात यहाँ आपके साथ सो जाऊं....? 


क्युं.....यहाँ क्यों सोना है तुझे। तु क्या चाहती है सारी रात तेरी मनहूस शक्ल देखती रहूँ। मुझे तुझसे नफरत है, ये बात तेरी समझ में क्युं नही आती। तेरी माँ तो मर गई ओर तुझे हमारे मत्थे डाल  गई। मैं यहाँ तेरे साथ आई हूं.....ये मेरी मजबूरी है। अगर मेरे बेटे या सोनल यहाँ होती तो.... अभी जा यहाँ से। मेरा ओर मुंह मत खुलवा। 


रश्मि बिना कुछ बोले रोती हुई वहाँ से अपने कमरे में चली गई। 
कमरे में आते ही उसने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। वो कमरे में अकेले बहुत डर रही थी। एक अजीब सी बैचैनी हो रही थी उसे। तभी उसका फोन बजा़। उसने देखा तो अलका का फोन था उसने फोन उठाया। 


खाना खाया मेरी जान.....। 


हां....। तुने खाया....। दवाईयां ली....? 


हां मैने भी खाया ओर दवाईयां भी ली...। 

अलका एक बात बोलूं...। 

हां बोल.....। 

क्या मैं आज कि रात तेरे पास सोने आ जाउँ .. ....मुझे यहाँ कुछ अच्छा नहीं लग रहा हैं.....। 


ये भी कोई बोलने की बात हैं....। आ जा.....लेकिन अकेले मत आ ......बहुत रात हो चुकी हैं....ओर ये दिल्ली हैं.....मेरी जान..। 
रोहित को बोल वो तुझे छोड़ कर जाएगा। मैं तेरा इंतजार कर रही हूँ....। 


ओके.....। मैं बस चेंज करके रोहित को बोलती हूँ.....। 
रश्मि ने फोन रख दिया ओर सुकून की सांस ली। 

वो अपने कपड़े लेकर वाशरूम में चेंज करने चली गई। 
रश्मि वाशरूम से आई तो उसे चक्कर आने लगे। उसे कुछ अजीब सा लग रहा था। 
उसके हाथ पैर ठंडे पड़ने लगे। 
थोड़ी देर में वो बेहोश होकर सोफे पर गिर गई। 


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आखिर अचानक रश्मि को क्या हो गया था...! 
आगे क्या होने वाला था उसके साथ....! 
जानने के लिए अगला भाग अवश्य पढ़े...। 

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# कहानीकार प्रतियोगिता....। 



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1 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Aug-2023 11:02 AM

बहुत ही सुन्दर

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